आनन्द हर आदमी के अन्दर है

और वह पूर्णता तथा सत्य की तलाश

में मिलता है ।

क्षण भर भी काम के बिना रहना

ईश्वर की चोरी समझो ।

मैं दूसरा कोई और रास्ता

भीतरी या बाहरी आनन्द का नहीं जानता ।


- महात्मा गांधी














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